1) वळण: -उत्पादनाचा अर्थ म्हणजे
जर लाकडासारख्या वस्तू, धातू कमी
झाले तर त्याला जाडी म्हणतात. आम्ही साधन वापरतो आणि लाकूड आणि धातू मध्ये एक
डिझाइन करा.
2) कंटाळवाणे: - आम्ही भोक साधने
वापर आणि भोक आकार वाढवा.
3) न्युरललिंग: - धातूमध्ये एक पकड बनविण्यासाठी knurling साधन वापरा
4) निमुळता होत गेलेला तुकडा: -
कातकाम यंत्रात धातू व थ्रेडिंग टॅप करण्यासाठी टॅप सेट वापरा.
प्रतिमा:-
लेथ मशीनचा भाग: -बेलट ड्राइव्ह, गियर बॉक्स, हेड स्टॉक, तीन जबडा चक, जॉब, टूल्स, स्पिंडल, चक, लीड स्क्रू, हँडल, टेअर स्टॉक, बेड इ.
दिनांक: -18 जुलै 2017
लेथ
मशीन: -
1) वळण: -उत्पादनाचा अर्थ म्हणजे
जर लाकडासारख्या वस्तू, धातू कमी
झाले तर त्याला जाडी म्हणतात. आम्ही साधन वापरतो आणि लाकूड आणि धातू मध्ये एक
डिझाइन करा.
2) कंटाळवाणे: - आम्ही भोक साधने
वापर आणि भोक आकार वाढवा.
3) न्युरललिंग: - धातूमध्ये एक
पकड बनविण्यासाठी knurling साधन
वापरा.
4) निमुळता होत गेलेला तुकडा: - कातकाम यंत्रात धातू व थ्रेडिंग टॅप
करण्यासाठी टॅप सेट वापरा.
खर्च: -1००४
उद्देश्य - साइट बांधणीत वेगवेगळ्या प्रकारच्या ब्रिकेटची व्यवस्था शोधणे
सामग्री - विटा, सिमेंट, वाळू, पाणी
टूल्स - टेप, बाउल, लेव्हल ट्यूब, स्पिरिट लेव्हल, फुरंग बॉब, मार्किंग रस्सी मोजणे.
फ्लेमिश बाँड - हे बाँडचे हेडर्स दरम्यान एक स्ट्रेचर आहे, ज्याचे हेडर्स खालीलप्रमाणे स्ट्रेचरवर केंद्रित आहेत.
हेडर
बाँड - या बाँडमधील सर्व विटा हेडर आहेत, परंतु तीन-चतुर्थांश बॅटच्या
दुहेरी-निर्मितीच्या नामासाठी प्रत्येक सलग अधोलेख अर्धे हेडरने ऑफसेट
करते.
Header bond is often used on curving walls with a small radius of
curvature. In Lewes, Sussex, England UK many small buildings are
constructed in this bond, using blue coloured bricks and vitrified
surfaces.
Stretcher Bond - All bricks in this bond are stretchers, with the bricks
in each successive course staggered by half a stretcher. Headers are
used as quoins on alternating stretching courses in order to achieve the
necessary off-set.
It is the simplest repeating pattern, and will create a wall only
one-half brick thick. Such a thin wall is not stable enough to stand
alone, and must be tied to a supporting structure. This practice is
common in modern buildings, where stretcher bonded brickwork may be the
outer face of a cavity wall, or the facing to a timber or steel-framed
structure.
f English Bond - This bond has alternating stretching and heading courses,
with the headers centered over the midpoint of the stretchers, and
perpends in each alternate course aligned. Queen closers appear as the
second brick, and the penultimate brick in heading courses. A muted
colour scheme for occasional headers is sometimes used in English bond
to lend a subtle texture to the brickwork. Examples of such schemes
include blue-grey headers among otherwise red bricks—seen in the south
of England—and light brown headers in a dark brown wall, more often
found in parts of the north oEngland.
Rat Trap Bond - Rat-trap bond substantially observes the same pattern as
Flemish bond, but consists of rowlocks and shiners instead of headers
and stretchers. This gives a wall with an internal cavity bridged by the
rowlocks, hence the reference to rat-traps.
आम्ही वापरलेल्या विटा होत्या 9 * 4 * 3
थ्रेडिंग आणि टॅपिंग.
ध्येय: - ट्रेडिंग आणि टॅपिंग बद्दल जाणून घेण्यासाठी
गरजेनुसार: - 18 मिमी ते 12 मिमीच्या ऑरेंजचे एक बार घ्या,
कार्यपद्धती: -
थ्रेडिंग: -वापरल्या जाणार्या मरणासंदर्भात परत
थ्रेडिंग: -वापरल्या जाणार्या मरणासंदर्भात परत
जाण्यासाठी थेंब करण्यासाठी श्रेणीनुसार वायूच्या उप-वापरासाठी रॉड लावा.
टॅपिंग: - कामावर योग्य आकाराचे ड्रिल भोक. आवश्यक छिद्र
टॅपिंग: - कामावर योग्य आकाराचे ड्रिल भोक. आवश्यक छिद्र
आकाराचे मोजणे आवश्यक आहे टॉप श्रेणी फिट करण्यासाठी लाइट ड्रिल
करता येते .ज्या आकाराचे ते आहे त्यापेक्षा जास्त आकार मग दाईचा
मीटर छेद असतो, या टॅप रेंजपेक्षा कट ऑफ खोल लहान आहे. तेल हे
स्नेहन आणि कूलिंगसाठी वापरले जाते, हे लक्षात येताच आपण तेल
वापरतो. ते तेल सुरळीतपणे फिरवण्यासाठी वापरण्याने ते घट्टपणे
no title) थ्रेडिंग आणि टॅपिंग. ध्येय: - ट्रेडिंग आणि टॅपिंग बद्दल जाणून घेण्यासाठी
अनुक्रम
परिचय
हाथ के किसी उपकरण (औजार) से किसी चीज को इच्छित गोल रूप में नहीं लाया जा सकता। इसलिए इसको खराद में बाँधा जाता है, जो इस चीज को घुमाता रहता है। तब औजार से इस पर काम किया जाता है। जिस मशीन से यह सब काम लिया जाता है उसी को खराद कहते हैं।सरल खराद की संरचना
चक प्राय: दो प्रकार के होते हैं:
- (१) तीन जबड़ों वाले चक, जिसके एक जबड़े (Jaw) के घुमाने से सब जबड़े काम करते हैं। इस चक में गोल चीजों को आसानी से पकड़ा जा सकता है।
- (२) चार जबड़ों का चक, जिसका हर जबड़ा अलग-अलग काम करता है। यह असममित माप की वस्तु को पकड़ने के लिए उपयोगी होता है। इस प्रकार खराद का पहला भाग शिरोदंड है, जो किसी अंग को ठीक प्रकार पकड़ने और उसको घुमाने का काम करता है और साथ ही साथ उन दाँतोवाले चक्रों को भी घुमाता है जिससे खराद की ईषा (Shaft) मिलती है।
खराद के दाहिने किनारे पर पुच्छदंड (Tail stock) होता है, जिसका काम शिरोदंड की सहायता करना है; जैसे, यदि किसी लंबी वस्तु पर काम करना है और उसको केवल चक में ही पकड़ा जाय तो बल पड़ने पर वस्तु झुक जायगी। इसलिए ऐसी वस्तु के दूसरे किनारे के बीच छेद बनाकर पुच्छदंड के केंद्र से जमा देते हैं, तब यह वस्तु इस केंद्र पर भी घूमती रहती है। इसके कारण इसके झुकने का डर नहीं होता।
आकार
किसी खराद का आकार उसपर काम करनेवाले अंगों के नाम से माना जाता है। यदि हम कहें कि खराद का आकार १२ x ६० इंच है, तो इसका मतलब हुआ कि इस खराद पर सबसे बड़ा कृत्यक (job) १२ इंच व्यास का और ६० इंच लंबाई का बाँधा जा सकता है। इस प्रकार की खराद को फलकी खराद (Bench Lathe) कहा जाता है। यदि शिरोदंड के चक के नीचे खराद में अधिक स्थान छोड़ दिया जाए, जिसके कारण खराद के आकार से बड़े काम को उस पर बाँधा जा सके, तो उसको अंतराल खराद (Gap Lathe) कहा जायगा।खराद पर कृत्यक (job) को बांधना
खराद पर किसी वस्तु (कृत्यक) को बाँधने की तीन रीतियाँ हैं:(१) चक और पुच्छदंड के केंद्रों पर वस्तु को बांधना वस्तु के दोनों किनारों के व्यास के बीच छेद बनाकर, दोनों दंडों के केंद्रों पर चढ़ाकर कस दिया जाता है। यह कसाव पुच्छदंड के चक्र को घुमाने से होता है। काम की लंबाई के अनुसार पुच्छदंड को आगे पीछे किया जा सकता है।
(२) काम को चक में बाँधना और
(३) मुखपट्ट पर काम को बाँधना।
जैसा काम होता है, वैसी ही रीति का उपयोग होता है। शिरोदंड का तकला खोखला होने के कारण लंबी छड़ों को पकड़ने में सुविधा होती है। पुच्छदंड का काम केवल काम को संभाले रखना ही नहीं, बल्कि छेद करना और भीतर के व्यास को बड़ा करना भी है।
खराद से किये जाने वाले कार्य
खराद पर कई प्रकार के काम किए जाते हैं। किसी वस्तु को गोल करना और उसको एक विशेष व्यास का बनाना, चूड़ी काटना, किसी वस्तु पर ढलाव बनाना, छोटे छेदों को बड़ा करना, भीतर के व्यास को बढ़ाना तथा इसी प्रकार के अन्य दूसरे काम किए जाते हैं।वस्तु पर पहले गहरी काट (cut) लेकर उसको नाप से कुछ ही ज्यादा रख लिया जाता है। इसके पश्चात कम काट लेकर काम को उसके ठीक नाप पर लाया जाता है। हर प्रकार की काट के लिए अलग-अलग उपकरण होते हैं। जिस प्रकार का काम करना हो उसी प्रकार के उपकरण को खरीद में लगाना पड़ता है। चूड़ियाँ काटने के लिए उपकरण उसी रूप का बनाया जाता है जिस रूप की चूड़ी होती है।
खराद पर काम करना
खरादें कई प्रकार की होती हैं जिनको यहाँ बतलाना कठिन है, परंतु हर खराद के काम करने का नियम वही है जो ऊपर बतलाया गया है। खराद पर काम करने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है। खराद को चलाने से पहले उसको साफ करना और उसके सब अंगों को तेल देना लाभदायक तथा आवश्यक है। तेल देने से खराद का हर भाग अच्छा काम करता है। जिस वस्तु पर काम हो रहा है वह काट लगने से गरम हो जाती है। यदि इसको ठंढा नहीं किया गया तो उपकरण भी गरम हो जायगा और उसकी धार नष्ट हो जाएगी। इससे धातु को काटने में कठिनाई होगी और धातु भी ठीक नहीं कट पाएगी। इसलिए धातु काटने के साथ-साथ उस पर तेल भी दिया जाता है। एक तो यह तेल उपकरण के काम में सुविधा करता है और दूसरे धातु को ठंढा रखता है। यह तेल खास तौर से इसी काम के लिये बनाया जाता है। इस कार्य के लिए साबुन को पानी में घोलकर भी कम में लाया जाता है।यह भी देखा गया है कि खराद पर काम करने वाले का कोई कपड़ा खराद के किसी चलनेवाले भाग में फँस गया और इसके कारण दुर्घटना हो गई। इसलिए ढीले कपड़े पहनकर खराद पर काम करना ठीक नहीं है। खराद के चलनेवाले सब अंगों पर भी कोई रोक लगाना आवश्यक होता है। धातु काटनेवाले सब उपकरणों को तेज करते रहने से अच्छा काम होता है। कम गहरे और छोटी काट लेने से काम का रूपक अच्छा होता है।
कुछ कारखानों में खरादों को चलाने के लिए ऊपर की ओर एक धुरी लगाई जाती थी, जिसको इंजन से चलाया जाता था। इस धुरी पर कई घिरनियाँ लगाई जाती थीं और हर घिरनी से एक खराद चलती थी। इस प्रणाली के उपयोग से कई कठिनाइयाँ होती थीं, एक तो यह कि यदि एक या दो खरादें चलाना हो तो भी उसी शक्ति का इंजन चलाना पड़ता था जो सब खरादों को एक साथ चलाने के लिए प्रयुक्त होता। इससे खरादों को चलाने में अधिक लागत आती थी। दूसरे, यदि इंजन में कोई खराबी आ गई तो सब खरादों का काम रुक जाता था। तीसरे, इससे दुर्घटनाएँ भी अधिक होती थीं। इसलिए आजकल इस प्रणाली का प्रयोग नहीं किया जाता। अब हर खराद के साथ उसकी अपनी मोटर आती है, जिसको जब भी आवश्यक होता है चला लिया जाता है। इस प्रकार हर खराद की शक्ति उसके साथ अलग रहती है।
लेथ मशीन
दिनांक: -18 जुलै 2017
लेथ मशीन: -
1) वळण: -उत्पादनाचा अर्थ म्हणजे जर लाकडासारख्या वस्तू, धातू कमी झाले तर त्याला जाडी म्हणतात. आम्ही साधन वापरतो आणि लाकूड आणि धातू मध्ये एक डिझाइन करा.
2) कंटाळवाणे: - आम्ही भोक साधने वापर आणि भोक आकार वाढवा.
3) न्युरललिंग: - धातूमध्ये एक पकड बनविण्यासाठी knurling साधन वापरा.
4) निमुळता होत गेलेला तुकडा: - कातकाम यंत्रात धातू व थ्रेडिंग टॅप करण्यासाठी टॅप सेट वापरा.
प्रतिमा:-
लेथ मशीनचा भाग: -बेलट ड्राइव्ह, गियर बॉक्स, हेड स्टॉक, तीन जबडा चक, जॉब, टूल्स, स्पिंडल, चक, लीड स्क्रू, हँडल, टेअर स्टॉक, बेड इ.
खर्च: -1,10,000
दिनांक: -17 सप्टेंबर 2017
ध्येय: पेंटिंग जाणून घेण्यासाठी
प्रक्रिया:
महत्त्वाचे मुद्दे:
कार्यस्थानाची साफसफाई करणे व मोजणे फार महत्वाचे आहे
प्रतिमा:-
दिनांक: -30 ऑगस्ट
आमचे ध्येय: - प्लायवुड वर सनमायका चीत्कावने.
आवश्यकता: - प्लायवूड, सनीमाका, फिकेकॉल, स्टूल, सर्व सुतारकाम उपकरण.
कार्यपद्धती: - सनमेका निश्चित करण्यासाठी लाकडी पेटी बनवा.
कट वापरुन आवश्यक आकारासाठी कट प्लायवुड
आवश्यक आकारासाठी सूयोरी कट करा
फहीविओलला प्लायवुडचा वापर करा आणि त्यावर धूप ठेवा
वजनाच्या किंवा लहान नखाने आणि अॅब्रे टेपवर सनीमिका ठेवण्यासाठी ते प्लािक्स पर्यंत ठेवा.
निरीक्षण: - कटिंग आणि हाताळणीची काळजी आणि युक्त्या
कापणे आणि प्लायवुड हाताळताना काळजी घ्या.
प्लायवुड सह सनमायका ठेवण्यासाठी युक्त्या.
परिणाम: - आम्ही काही काळानंतर सूर्यप्रकाश पूर्णतः प्लायवूडसाठी स्टिक तयार करतो.
प्रतिमा:-